Narak Chaturdashi 2020: क्यों कहते हैं छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी
दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है छोटी दिवाली। इसे रूप चौदस और नरक
चतुर्दशी भी कहा जाता है।मान्यता है कि इसदिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है छोटी दिवाली। इसे रूप चौदस और नरक चतुर्दशी
भी कहा जाता है। इस दिन सुबह-सवेरे उबटन लगा कर नहाना शुभ माना जाता है।
सूर्यास्त के बाद घर में पांच दीये जलाए जाते हैं। एक दीया घर के मंदिर
में, दूसरा रसोई में, तीसरा पीने के पानी के पास, चौथा पीपल के पेड़ के
नीचे और पांचवा दीया घर के मुख्य द्वार पर।
कहते हैं कि यह पांचवां
दीया यमराज के नाम का होता है। माना जाता है कि यह दीया जलाकर अकाल मृत्यु
और बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है और मनुष्य नरक में मिलने वाली
यातनाओं से बच जाता है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहने के पीछे एक
पौराणिक कथा है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का संहार किया था। नरकासुर का एक नाम भौमासुर भी है। दिन घर के मुख्य द्वार पर यम के
नाम का दीया जलाने से अकाल मृत्यु और बीमारियों से मुक्ति मिलती है
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